Wednesday, 6 July 2011

न था सर पे कोई आँचल

न था सर पे कोई आँचल गए वो   एसे निकल |
कोई शायर कहे जैसे   बिना  मतले की   ग़ज़ल ||

मैं यूँ  तो सूरते  हालात  पे  लिखता  हूँ   मगर |
तुझे    देखूं    तो मेरी     शायरी  जाती   है बदल ||

मेरे      ख्वाबों  की  क़श्ती   से  तुझे   आयेगें नज़र |
खिले जो झील में दिल की तेरी यादों के कँवल ||

ए दिल -ए -नातवाँ दिन एक से रहते   न कभी |
ज़रा सा   सब्र तो कर   यार तू   जायेगा   संभल ||

यहाँ     के   लोग   तमाशाई   हैं करते   न   मदद |
किसी   घायल   को   लेके कौन चले हॉस्पिटल ||

                                                                      डा० सुरेन्द्र सैनी 

Monday, 4 July 2011

gazlen

पल पल  हमारी सूरते  हालात  की  ख़बर |
वो कौन देता है  उसे हर  बात की  ख़बर ||

छुप कर अँधेरी रात में मैंने किया  था जो |
मिल ही गयी उसे मेरी उस रात की ख़बर ||

कच्चे  घरोंदे  देख  कर छुटती है   कपकपी |
टी वी सुनाने लग गया  बरसात की ख़बर ||

सुन  सुन  सभी  होने  लगे  बेचैन बेसबब |
मेरे    तुम्हारे  बीच  मुलाक़ात  की  ख़बर ||

लफ़्ज़ों को तौल तौल के बोला करो जनाब |
यें   लोग   उड़ा   देते  हैं  बेबात  की ख़बर ||

                                                                        डा० सुरेन्द्र सैनी 

लड़ता है क्यूँ   जब  मैक़दा  जितना तेरा उतना मेरा |
बरसों से रिश्ता ये जाम का जितना तेरा उतना मेरा ||

मज़हब का जाम करे नशा जितना  तुझे  उतना मुझे |
इसके के न पीने में है नफ़ा जितना  तेरा उतना मेरा ||

चलने  की  ख़ातिर  रास्ता  रस्ते  बिना  चलिए ज़रा | 
वर्ना   कहो   यह  रास्ता  जितना  तेरा  उतना  मेरा ||

हमको  लड़ा  कर  शान  से  कुर्सी पे  क़ाबिज़ होगये |
इन  लीडरों  से ये है गिला जितना तेरा उतना  मेरा || 

फ़स्लें  उगाये  ज़मीन  पर  इंसान  लाशें   गिराये  क्यूँ | 
बस दाल रोटी का सिलसिला जितना तेरा उतना मेरा ||

मंदिर बने मस्ज़िद  बने कहीं भी बने न बने तो क्या |
करना  भला  चाहता  ख़ुदा  जितना  तेरा  उतना मेरा || 

                                                                                            डा० सुरेन्द्र सैनी