जितने करने थे उसको सितम कर गया |
और तो कुछ नहीं आँख नाम कर गया ||
इस सफ़ाई से चुकता किया है हिसाब |
एक पाई ज़ियादा न कम कर गया ||
याद करने की कोई बची अब न बात |
आज सारा ही क़िस्सा ख़तम कर गया ||
पाल रक्खे थे दिल में जो उसके लिए |
दूर सारे के सारे भरम कर गया ||
जिसके बनने बनाने में बरसों लगे |
वो ख़तम रिश्ता सब एकदम कर गया ||
या ख़ुदा यूँ हमारी वफ़ाओं पे कौन ?
पैदा सबके दिलों में वहम कर गया ||
अश्क़ मेरे बता देंगे इसका जवाब |
ज़ुल्म वो कर गया या करम कर गया ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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